मृत्यु भाव स्वामी द्वादशेश का बारह भावों में फल
जातक के जन्मकुंडली के द्वादश भाव को मोक्ष का भाव माना जाता हैं। इस भाव के स्वामी को द्वादशेश कहते हैं। द्वादशेश जातक के जन्मकुंडली के भिन्न भावों में विराजित होकर जातक को उनके भावानुसर फल प्रदान करता हैं।जातक की रूचि अन्य कारकों के साथ इस बात पर भी निर्भर करता हैं जातक के जन्मकुंडली के भाव पर द्वादशेश क्या प्रभाव डाल रहा हैं।
आइये जानते हैं कि द्वादशेश का जातक के भावानुसार इसके क्या फल मिलते हैं।
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मृत्यु भाव स्वामी द्वादशेश का प्रथम भाव में फल:-
यदि जातक की जन्मकुंडली में द्वादश भाव का स्वामी प्रथम भाव में उपस्थित हो तो जातक मधुरवाणी बोलने वाला होता है। ऐसा जातक आकर्षक और सौम्य होता है। जातक को विदेश यात्रा के अवसर मिलते रहते है। जातक का स्वभाव बहुत चंचल होता है। ऐसे जातक की सहन सकती कमजोर होती है। यदि द्वादश भाव का स्वामी पीड़ित हो और वह प्रथम भाव में विद्यमान हो तो जातक की मृत्यु जल्दी हो सकती है। अथवा ऐसे जातक को पाचन संबंधित कोई परेशानी हो सकती है। ऐसा जातक संकीर्ण विचारों वाला होता है और दूसरों से घृणा भी करता है। जातक को अपने जीवन में निर्धनता का सामना करना पड़ सकता है। जातक को नीद की समस्या भी हो सकती है।
प्रथम भाव स्वामी का अन्य भावों में फल
मृत्यु भाव स्वामी द्वादशेश का द्वितीय भाव में फल:-
द्वितीय भाव धन का भाव है। द्वादश भाव यदि जातक के द्वितीय भाव में विद्यमान हो तो ऐसा जातक धार्मिक प्रकृति का होता है। जातक लोगो के बीच अच्छा नाम-सम्मान प्राप्त करता है। ऐसा जातक प्रियवक्ता होता है। वह जातक मितव्ययी होता है। आमतौर पर जातक केवल शुभ कार्यों में ही खर्च करता है। ऐसे जातक का जीवन सुखपूर्वक व्यतीत होता है।
यदि द्वादशेश पीड़ित हो और वह द्वितीय भाव में विद्यमान हो तो जातक का जीवन कर्ज से दबा हुआ होता है। जातक का अपने कुटुंब के लोगों से मतभेद होता है।
आँखों की समस्या होने से जातक की दृष्टि कमजोर हो सकती है। जातक को झूठ बोलने की भी बुरी आदत होती है।
मृत्यु भाव स्वामी द्वादशेश का तृतीय भाव में फल:-
यदि द्वादश भाव का स्वामी जातक के जन्मकुंडली के तृतीय भाव में विद्यामान हो तो ऐसा जातक स्वभाव से धार्मिक प्रकृति का होता है। जातक को आमतौर पर विदेश यात्रा के अवसर मिलते रहते हैं। ऐसे जातक के पास किसी लक्ष्य को अंजाम देने के लिए साहस नहीं हुआ करता है। अगर द्वादश भाव का अधिपति ग्रह अशुभ हो और वह तृतीय भाव में मौजूद हो तो जातक का अपने भाई-बहनो से संबंध अच्छे नहीं होते हैं।
जातक को अपने भाई -बहन के कारण कुछ समस्याओ का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे जातक मनोरंजन के लिए अपने जीवन शक्ति को नष्ट करते रहते हैं। ऐसे जातक का प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकता है। जातक को कान या गले आदि में कोई परेशानी हो सकती है। लेखन क्षेत्र में हाथ डालने पर जातक को असफलता हांथ लगती है।
तृतीय भाव स्वामी का अन्य भावों में फल
द्वादशेश का चतुर्थ भाव में फल:-
यदि द्वादश भाव का स्वामी जातक के जन्मकुंडली के चतुर्थ भाव में स्थित हो तो ऐसा जातक विदेश में रहना पसंद करते हैं। वह व्यक्ति का अपने कुटुंब के लोगों से संबंध अच्छे नहीं होते हैं। जातक के पास न हो अच्छा घर होता है और न ही अच्छा जमीन-जायदाद ही। जातक की माँ आमतौर पर अस्वस्थ्य रहा करती है। जातक को विदेश यात्रा का लाभ मिल सकता है। वाहन के कारण जातक के जीवन में कुछ समस्या हो सकती है।
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द्वादशेश का पंचम भाव में फल:-
यदि जातक के जन्मकुंडली के पंचम भाव में द्वादश भाव का अधिपति विराजमान हो तो ऐसे जातक जातक के पास कम शिक्षा होती है। उस जातक के पास अपने विचारो को नियंत्रण करने का सामर्थ्य नहीं होता है। ऐसे जातक के पास कोई पुत्र नहीं होता है अथवा किसी गंभीर रोग के होने से जातक के पुत्र की असमय मृत्यु हो सकती है। जीवन के समस्याओ के कारण जातक धार्मिक जीवन का रूख कर सकता है। जातक में आमतौर पर आत्मसम्मान का अभाव होता है।
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मृत्यु भाव स्वामी द्वादशेश का षष्ठम भाव में फल:-
जन्मकुंडली के षष्ठम भाव में ही द्वादश भाव का स्वामी उपस्थित होने पर जातक का स्वास्थ्य अच्छा होता है जिससे जातक दीर्घायु जीवन जीता है। जातक का रूप आकर्षित करने वाला होता है।
धन-दौलत के मामले में जातक धनी और समृद्ध होता है। ऐसा जातक अपने शत्रुओ पर विजय प्राप्त करने वाला होता है। यदि द्वादश भाव का स्वामी ग्रह पीड़ित हो और वह षष्ठम भाव में विद्यमान हो तो जातक का अपने माता जी से किसी बात को लेकर विवाद हो सकता है।
ऐसे जातक को संतान सुख में कमी हो सकती है। कानूनी विवादों के कारण जातक को धन की हानि हो सकती है।
द्वादशेश का सप्तम भाव में फल:-
अगर जातक के जन्मकुंडली में द्वादश भाव का स्वामी जातक के सप्तम भाव में उपस्थित हो तो जातक का अपने समाज के लोगों के संबंध खराब होते हैं। जातक को अच्छी शिक्षा की प्राप्ति नहीं होती है।
ऐसे जातक की पत्नी गरीब परिवार से होती है। जातक को अपने पत्नी से सुख की प्राप्ति नहीं होती है। जातक के किसी सहयोगी से शत्रुता हो सकता है। जातक के पास जमीन-जायदाद की कमी होती है लेकिन जातक को विदेश से धन प्राप्ति की संभावना है।
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द्वादशेश का अष्टम भाव में फल:-
यदि द्वादश भाव का स्वामी जातक के अष्टम भाव में ही स्थित हो जातक मधुरभाषी होता है और सभी अच्छे गुणो से सम्पन्न होता है। जातक दीर्घायु होता है और जातक का ज्ञानप्राप्ति के लिए आध्यात्मिक जीवन में खूब उन्नति करता है।
ऐसे जातक चिकित्सा सेवा के कामो जैसे कि अस्पताल में चिकित्सक ,प्रसूति रोग विशेषज्ञ ,आपतकालीन सेवा आदि से जुड़े हो सकते हैं।
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द्वादशेश का नवम भाव में फल:-
द्वादश भाव का अधिपति यदि जातक के नवम भाव में विद्यामान हो तो जातक का व्यवहार धार्मिक होता है तथा जातक का दार्शनिक दृष्टिकोण वाला होता है। ऐसा जातक शिक्षाओ से जुड़ा हो सकता है।
जातक का आयात-निर्यात संबंधी कोई व्यवसाय हो सकता है। जातक का विदेश ने निवास करने की संभावना है। जातक किसी यात्रा अथवा तीर्थ यात्रा आयोजक की भूमिका में भी हो सकता है।
यदि द्वादश भाव का स्वामी ग्रह पीड़ित हो और वह नवम भाव में हो तो जातक का धार्मिक शिक्षा पर अविश्वास होता है। जातक अपने वैवाहिक जीवन से संतुष्ट नहीं होता है। जातक के पिता की अल्पायु में मृत्यु हो सकती है।
ऐसा जातक अपने से बड़ो का सम्मान नहीं करता है। जातक को पत्नी ,मित्र और गुरु पसंद नहीं होते हैं।
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द्वादशेश का दशम भाव में फल:-
जन्मकुंडली में यदि द्वादश भाव का स्वामी दशम भाव में विद्यमान हो तो ऐसा जातक बहुत परिश्रमी होता है। अपने पेशे से जुड़े नौकरी के कारण जातक को विदेश यात्रा का लाभ मिलता रहता है।
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अथवा जातक का बार-बार तबादला होता रहता है। पदोन्नति के लिए जातक को किसी प्रभावशाली व्यक्ति का साथ चाहिए होता है। ऐसे जातक का आध्यात्मिक गुरु के रूप में प्रसिद्ध हो सकते है। जातक जेल ,अस्पताल अथवा नर्सिंग होम में भी काम कर सकते हैं।
यदि द्वादश भाव का स्वामी कोई अशुभ ग्रह हो और वह दशम भाव में बैठा हो तो जातक को संतान सुख की प्राप्ति नहीं होती है। ऐसे जातक को अपने पिता जी से कम सुख मिल पाता है।
दशम भाव स्वामी का अन्य भावों में फल
मृत्यु भाव स्वामी द्वादशेश का एकादश भाव में फल:-
जातक की जन्मकुंडली में द्वादश भाव का स्वामी एकादश भाव में विद्यामान हो तो ऐसे जातक एकांत में रहना पसंद करते हैं। जातक को दूसरों से लाभ मिलता रहता है।
जातक धन अर्जन के लिए कीमती रत्नो ,मोती आदि का व्यापार करने वाला हो सकता है। जातक का व्यापार ठीक-ठाक चलेगा लेकिन इससे जातक को बहुत ज्यादा लाभ की प्राप्ति नहीं हो सकती है।
आमतौर पर ऐसे जातक अपने इच्छा को पूरा करने और दिखाने पर अपना धन खर्च करते रहते हैं। जातक के शत्रुओ की संख्या अधिक हो सकती है। जातक भाई विकलांग हो सकता है।
जातक को अपने भाई के ऊपर अधिक धन खर्च करना पड़ सकता हैं। जातक को सुनने की समस्या हो सकती है।
द्वादशेश का द्वादश भाव में फल:-
यदि जातक की जन्मकुंडली में द्वादश भाव का स्वामी द्वादश भाव में उपस्थित हो तो जातक का व्यक्तित्व आकर्षक होता है। जातक की दृष्टि अच्छी होती है। ऐसा जातक धनवान होता है और जीवन में सभी सुख-सुविधाओ का भोग करता है।
जातक के जीवन में खर्चों की अधिकता होती है। जातक यात्रा करने का शौकीन होता है। जातक अपने जीवनसाथी से संतुष्ट होता है। जातक के जीवन का झुकाव धर्म और अध्यात्म की ओर होने पर जातक धार्मिक और सामाजिक कार्यों में धन खर्च कर सकता है।
यदि द्वादश भाव का स्वामी पीड़ित हो और वह द्वादश भाव में ही विद्यमान हो तो जातक को इसके विपरीत फल मिल सकता है। ऐसे में जातक परेशान और अशांत रह सकता है।
द्वादशेश का कुंडली के बारह भावों में फल (निष्कर्ष)
जन्म कुंडली के द्वादश भाव के स्वामी द्वादशेश का कुंडली के बारह भावों में , विभिन्न भाव के अनुसार अलग-अलग फल मिलता है। आपने जाना कि आपको इसका अच्छा (सकारात्मक) फल भी मिल सकता है और नकारात्मक भी मिल सकता है।
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