लाभ स्थान स्वामी एकादशेश का बारह भावों में फल

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जातक के जन्मकुंडली के एकादश भाव को लाभ अथवा आय का भाव माना जाता हैं। इस भाव के स्वामी को एकादशेश  कहते हैं।ज्योतिषशास्त्र  में एकादश भाव आय , मित्र एवं आभूषण, बड़े भाई-बहिन का होता है। एकादशेश जातक के जन्मकुंडली के भिन्न भावों में विराजित होकर जातक को उनके भावानुसर फल प्रदान करता हैं। 

जातक की रूचि अन्य कारकों के साथ इस बात पर भी निर्भर करता हैं कि जातक के जन्मकुंडली के भाव पर एकादशेश क्या प्रभाव डाल रहा हैं। आइये जानते हैं कि एकादशेश का जातक के भावानुसार इसके क्या फल मिलते हैं। 

लाभ स्थान स्वामी एकादशेश का प्रथम भाव में फल :-

ज्योतिषशास्त्र में  प्रथम भाव को लग्न भाव भी कहते हैं। जन्मकुंडली के प्रथम भाव में एकादश भाव का स्वामी उपस्थित होने पर जातक का जन्म किसी सम्पन्न परिवार में होता है। 

जातक को उच्च शिक्षा की प्राप्ति होती है। जातक का व्यक्तित्व प्रभावशाली होता है। ऐसा जातक अपने प्रयत्नो से धन का अर्जन करता है। जातक का बड़ा भाई सहायक होता है। जातक को जीवन में अवसर मिलते रहते हैं। 

यदि एकादश भाव का स्वामी पीड़ित हो और वह प्रथम भाव में विद्यमान हो तो जातक को मित्र से कुछ खास लाभ नहीं मिलता है।बड़े भाई अथवा बहन के कारण धन हानि होने की वजह से जातक को धन की कमी हो सकती है। जीवन में सफल होने के लिए जातक को अवसर में कमी हो सकती है। 

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 एकादशेश का द्वितीय भाव में फल :-  

द्वितीय भाव धन का भाव है। ज्योतिष में द्वितीय भाव धन, वाणी, नेत्र व परिवार इत्यादि का होता है। अगर जातक के जन्मकुंडली में एकादश भाव का स्वामी जातक के द्वितीय भाव में उपस्थित हो तो जातक प्रभावशाली वक्ता होता है। 

वित्तीय संस्थानो जैसे कि बैंकिंग के क्षेत्र से जातक धन का अर्जन करता है। जातक का अपने बड़े भाई एवं बहनो से प्रेमपूर्ण संबंध होते हैं। व्यक्ति को अपने दोस्तो से लाभ मिलता है। जातक अपने जीवन में पर्याप्त धन का अर्जन करता है। ऐसे जातक को आमतौर पर पुरस्कार मिलते रहते है। 

यदि एकादशेश पीड़ित हो और वह द्वितीय भाव में विद्यमान हो तो जातक को इसके विपरीत परिणाम मिल सकते हैं अर्थात जातक धनी होने के बजाय निर्धन हो सकता है। ऐसे में जातक के बड़े भाई या बहन आर्थिक रूप से परेशान हो सकते है।

जातक दृष्टि संबंधी को समस्या हो सकती है। जातक अपने प्रथम पुत्र को खो सकता है। 

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लाभ स्थान स्वामी एकादशेश का तृतीय भाव में फल :-

तृतीय भाव को प्रयास करते रहने का भाव माना जाता हैं। ज्योतिष में तृतीय भाव पराक्रम, छोटे भाई-बहिन, कंठ-गला एवं साहस का होता है। यदि एकादश भाव का स्वामी जातक के तृतीय भाव में ही स्थित हो जातक संगीतकर या गायक होता है। 

वह खुद के सामर्थ्य से जीवन में आगे बढ़ता है और सफलता प्राप्त करता है। जातक अपने भाई-बहनो में सबसे छोटा है। जातक के भाई-बहन अच्छी स्थिति में होते है तथा जातक को अपने भाई एवं बहनो से भरपूर लाभ मिलता है। 

जातक के पास नौकर-चकार होते हैं। जातक के बच्चे भाग्यशाली और धार्मिक स्वभाव के होते हैं। जातक को यात्रा करना अच्छा लगता है। जातक को यात्रा से लाभ मिल सकता है। 

एकादश भाव पाप ग्रहों से पीड़ित होने पर जातक को सुनने में परेशानी हो सकती है। 

तृतीय भाव स्वामी का अन्य भावों में फल पढ़िए 

एकादशेश का चतुर्थ भाव में फल :-

चतुर्थ भाव को सुख का भाव माना जाता है।ज्योतिष में कुंडली में चतुर्थ भाव माता, वाहन, प्रॉपर्टी, भूमि, मन, ख़ुशी, शिक्षा तथा भौतिक सुख इत्यादि का कारक भाव होता है।  एकादश भाव का अधिपति यदि जातक के चतुर्थ भाव में विद्यामान हो तो ऐसा जातक जातक सुशिक्षित और प्रतिष्ठित व्यक्ति होता है । वह अपने ज्ञान और विद्वता के कारण यश प्राप्त करता है। 

जातक को अचल संपत्ति से लाभ मिल सकता है। किराए के मध्याम से वह जातक धन का अर्जन कर सकता है। ऐसे जातक के सेवक बहुत वफादार होते हैं। जातक को अपने माता-पिता से सहयोग मिलता है। वह व्यक्ति आमतौर पर आध्यात्मिक क्रियाकलापों से जुड़ा होता है। जातक को जमीन जायदाद का आनंद भी मिलता है। ऐसा व्यक्ति सुखमय जीवन व्यतीत करता है।    

यदि जातक के एकादश भाव का स्वामी पीड़ित हो और वह चतुर्थ भाव में विद्यमान हो तो जातक को भावनात्मक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। शिक्षा पूरी करने के लिए जातक को धन की कमी की समस्या से भी जूझना पड़ सकता है। 

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एकादशेश का पंचम भाव में फल :-

पंचम भाव को त्रिकोण अथवा लक्ष्मी का भाव  माना जाता है। ज्योतिष में पंचम भाव उच्च शिक्षा, संतान, प्रेम एवं टेलेंट का होता है। जन्मकुंडली में यदि एकादश भाव का स्वामी पंचम भाव में विद्यमान हो तो ऐसे जातक का स्वभाव बहुत अच्छा होता है। 

जातक को पूर्व अनुमान लगाने में महारथ हासिल होगा। वह अपने पिता के व्यवसाय को फैलाने का काम करेगा। जातक शेयर मार्केट से भी धन का अर्जन कर सकता है। जातक के कई सारे बच्चे हो सकते हैं। ये बच्चे जातक का यश और कीर्ति को फैलाएगे। जातक की सभी मनोकामनाये पूरी होगी। 

यदि एकादश भाव का स्वामी ग्रह पीड़ित हो और वह पंचम भाव में स्थित हो तो जातक मूर्खतापूर्ण कार्यों को करने में प्रवृत्त हो सकता है। जातक को शेयर मार्केट से नुकसान हो सकता है। जाताक में अध्यात्मिकता की कमी हो सकती है।

पंचम भाव स्वामी का अन्य भावों में फल पढ़िए  

लाभ स्थान स्वामी एकादशेश का षष्ठम भाव में फल :-

षष्ठम भाव को शत्रु ,कर्ज एवम व्याधियों का भाव माना जाता है। ज्योतिष में छ्टा भाव रोग, ऋण, शत्रु व मामा का भी होता है। यदि जातक की जन्मकुंडली में एकादश भाव का स्वामी षष्ठम भाव में उपस्थित हो तो जातक मुक़दमेबाज़ी ,नर्सिंग होम या किसी अन्य प्रकार की सेवा से धन का संग्रह करता है। 

वह व्यक्ति को व्यायाम के अवसर मिलते रहते हैं। यदि एकादश भाव का स्वामी पीड़ित हो और वह षष्ठम भाव में विद्यमान हो तो जातक ऋण से दबा हो सकता है। ऐसा जातक कोर्ट केस में फँसा हो सकता है। 

जातक अपने खराब आचरणों की वजह से जीवन के सर्वश्रेष्ठ अवसरों को खो सकता है। ऐसा जातक आमतौर पर किसी असामाजिक क्रियाकलापों में शामिल रहा करते हैं। जातक अधिकांश समय अशांत रहा करता है।  

एकादशेश का सप्तम भाव में फल :-

सप्तम भाव को विवाह तथा व्यापार का भाव माना जाता हैं। ज्योतिष में सप्तम भाव जीवनसाथी, व्यापार, साझेदार, व विदेश यात्रा का होता है। एकादश भाव यदि जातक के सप्तम भाव में विद्यमान हो तो ऐसे जातक का शादी किसी धनवान लड़की से हो सकता है। 

वह जातक अपने स्त्री से मित्रवत व्यवहार करता है। जातको को विदेश में तरक्की या फिर विदेश से लाभ मिल सकता है। जातक के पिता जी अपने प्रयासों से अपनी धन-दौलत प्राप्त करते हैं और अपने जीवन में कामयाब होते है। 

जातक को प्रभावशाली शख़्सियतों  से लाभ मिल सकता है। यदि जातक के एकादश भाव का स्वामी कोई पाप ग्रह हो और वह सप्तम भाव में विद्यमान हो तो जातक देह व्यापार के कार्य से धन का अर्जन करने वाला बन सकता है।

लाभ स्थान स्वामी एकादशेश का अष्टम भाव में फल :-

ज्योतिष में अष्टम भाव आयु, मृत्यु, आकस्मिक घटना, पूर्व-जन्म के पाप कर्म, गुप्त-विद्या एवं आध्यात्म का होता है। यदि एकादश भाव का स्वामी जातक के जन्मकुंडली के अष्टम भाव में विद्यामान हो तो ऐसे जातक को किसी माध्यम से गुप्त धन की प्राप्ति हो सकती है। 

जातक अपने से बड़ों के प्रति सम्मानभाव रखने वाला होता है। यदि एकादश भाव का अधिपति ग्रह अशुभ हो और वह अष्टम भाव में उपस्थित हो तो जातक देह व्यापार के कार्य से जुड़ा हो सकता है। 

जातक को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा जातक चोर अथवा ठग से पीड़ित हो सकता है। वह व्यक्ति का छोटा पुत्र चरित्रहीन हो सकता है। 

एकादशेश का नवम भाव में फल :-

ज्योतिष में नवम भाव भाग्य, धर्म, पिता, उच्च-शिक्षा एवं विदेश यात्रा का होता है। नवम भाव को पूरी कुंडली का सबसे महत्वपूर्ण भाव माना जाता है। यदि एकादश भाव का स्वामी जातक के जन्मकुंडली के नवम भाव में स्थित हो तो ऐसा जातक को पैतृक संपत्ति का लाभ मिलता है। जातक धनवान और भाग्यवान होता है। जातक वाहन और मकान का सुख भी प्राप्त करता है। वह व्यक्ति धार्मिक स्वभाव वाला और दयालु होता है। अतएव जातक धार्मिक संस्थान में अपनी सेवा देता रहता है। 

जातक कोई पुस्तैनी व्यापार हो सकता है अथवा प्रकाशन ,यात्रा या कानून के जरिये जातक धन का संग्रह कर सकता है। यदि एकादश भाव का स्वामी पीड़ित हो और वह नवम भाव में विद्यमान हो तो जातक को अपने बड़े भाई या बहन से दु:ख मिल सकता है। 

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लाभ स्थान स्वामी एकादशेश का दशम भाव में फल :-

दशम भाव को कर्म का भाव माना जाता हैं। ज्योतिष में दशम भाव कर्म, राज्य, नेतृत्व क्षमता, उत्तरदायित्व एवं प्रसिद्धि का होता है। यदि जातक के जन्मकुंडली के दशम भाव में एकादश भाव का अधिपति विराजमान हो तो ऐसा जातक ईमानदार और सरल व्यक्तित्व का होता है।

जातक पेशे से व्यापारी हो सकता है। आमतौर पर जातक को उपलब्धियाँ प्राप्त होती रहती हैं। व्यक्ति को अकादमिक क्षेत्र में पुरस्कार मिल सकता है। जातक अपने इच्छाओ और सपनों को अपने सामर्थ्य से पूरा करता है। 

यदि एकादश भाव का अधिपति ग्रह अशुभ हो और वह दशम भाव में उपस्थित हो तो जातक बहुत खर्चीला होता है जिससे जातक का व्यय होता रहता है। 

दशम भाव स्वामी का अन्य भावों में फल पढ़िए 

लाभ स्थान स्वामी एकादशेश का एकादश भाव में फल :-

एकादश भाव को लाभ का भाव माना जाता हैं। ज्योतिष में एकादश भाव आय, लाभ, बड़े भाई-बहिन, मित्र एवं आभूषण का होता है। यदि जातक की जन्मकुंडली में एकादश भाव का स्वामी एकादश भाव में ही  उपस्थित हो तो जातक को अपने कुटुंब एवं मित्रो से लाभ मिलता है। 

जातक का अपने भाई-बहन से अच्छा संबंध होता है। जातक को अवसरों का लाभ मिलता है जिससे जातक अपने जीवन में पर्याप्त धन का संग्रह करता है। वह जातक सभी प्रकार के सुख का आनंद प्राप्त करते हुये सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करता है। 

ऐसे व्यक्ति आध्यात्मिक कार्यों में भी संलग्न होते हैं। यदि एकादश भाव का स्वामी पीड़ित हो और वह एकादश भाव में विद्यमान हो तो जातक को अवसरों की कमी हो सकती है। जातक समर्थन के लिए अपने बड़े भाई या बहन पर निर्भर हो सकता है। 

एकादशेश का द्वादश भाव में फल :-

ज्योतिष में द्वादश भाव व्यय, हानि, मोक्ष, विदेश प्रवास एवं गूढ़ विद्या का होता है। जातक की जन्मकुंडली में एकादश भाव का स्वामी द्वादश भाव में विद्यामान हो तो जातक की सहनशीलता उच्च कोटी की होती है। 

जातक को ज्ञान प्राप्ति के अवसर मिलते रहते हैं। ऐसे जातक आध्यात्मिक क्रियाकलापों से धन का अर्जन कर सकते है। जातक का आयात-निर्यात से संबन्धित कोई व्यवसाय हो सकता है। वह व्यक्ति को विदेश से धन की प्राप्ति हो सकती है।  यदि एकादशेश पीड़ित हो और वह द्वादश भाव में विद्यमान हो तो जातक को दृष्टि से संबंधित कोई पीड़ा हो सकती है। या जातक को कोई असाध्य रोग हो सकता है। 

इसके अलावा जातक का भाई-बहन या मित्र किसी रोग से पीड़ित हो सकते हैं उनके इलाज में अधिक खर्च आ सकता है। 

मृत्यु भाव स्वामी का अन्य भावों में फल पढ़िए 

एकादशेश का कुंडली के बारह भावों में फल (निष्कर्ष)

जन्म कुंडली के एकादश भाव के स्वामी एकादशेश  का कुंडली के बारह भावों में , विभिन्न  भाव के अनुसार अलग-अलग फल मिलता है। आपने जाना कि आपको इसका अच्छा (सकारात्मक) फल भी मिल सकता है और नकारात्मक  भी मिल सकता है।

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