दशम भाव स्वामी दशमेश का बारह भावों में फल

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जातक के जन्मकुंडली के दशम  भाव को लाभ अथवा आय का भाव माना जाता हैं। इस भाव के स्वामी को दशमेश कहते हैं। दशमेश जातक के जन्मकुंडली के भिन्न भावों में  विराजित होकर जातक को उनके भावानुसर फल प्रदान करता हैं। जातक की रूचि अन्य कारकों के साथ इस बात पर भी निर्भर करता हैं जातक के जन्मकुंडली के भाव पर दशमेश क्या प्रभाव डाल रहा हैं। 

आइये जानते हैं कि दशमेश का जातक के भावानुसार इसके क्या फल मिलते हैं।

दशम भाव स्वामी दशमेश का प्रथम भाव मे फल :-

ज्योतिषशास्त्र में  प्रथम भाव को लग्न भाव भी कहते हैं। यदि दशम  भाव का स्वामी जातक के प्रथम भाव मे  स्थित हो जातक अपने पुरुषार्थ से अपने भाग्य का निर्माण करता है। ऐसा जातक कर्मशील होता है। जातक का समाज में अच्छा मान-सम्मान होता है। ऐसे जातक फ्रीलान्सर के रूप में भी कामयाब हो सकते हैं। जातक का कैरियर उसके व्यक्तित्व को आकार देगा। 

जातक का खुद का अपना व्यवसाय हो सकता है। वह जातक अपने संगठन का प्रमुख होगा तथा जातक के पास नेतृत्व क्षमता भी होगी। ऐसे व्यक्ति अपने पिता जी के व्यक्तित्व से प्रभावित हो सकते है। जातक की कई पुत्री हो सकती है। जातक को विदेश में निवास करने का मौका भी मिल सकता है। 

यदि दशम भाव का स्वामी पीड़ित हो और वह लग्न भाव में विद्यमान हो तो किसी बात को लेकर  जातक का अपने माता जी से मतभेद हो सकता है। लेकिन पिता जी के साथ बढ़िया तालमेल रहेगा। 

दशमेश का द्वितीय भाव में फल :-  

द्वितीय भाव धन का भाव है। ज्योतिष मेंं द्वितीय भाव धन, वाणी, नेत्र व परिवार इत्यादि का होता है। दशम  भाव का अधिपति यदि जातक के द्वितीय भाव में विद्यामान हो तो जातक भाग्यशाली होगा। जातक को विरासत में अचल संपत्ति मिल सकती है। जातक को पुस्तईनी व्यापार संभालना पड़ सकता है। 

ऐसा जातक अपने शब्दों पर अडिग रहता है। ऐसे जातक का छात्र जीवन सफल होता है। जातक स्कूल के परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करता है। सरकारी नौकरी जातक के आय का स्रोत बन सकता है।  वह व्यक्ति अपने प्रयासों से धन का अर्जन करता है। जातक को विदेश में सफलता मिल सकती है। 

जातक के बड़े भाई-बहन धनवान होगे और जीवन में अच्छी स्थिति में होंगे। 

दशमेंश पाप ग्रह से पीड़ित होने पर जातक की माँ स्वार्थी हो सकती है। पारिवारिक व्यवसाय की हानि होने के कारण जातक निर्धन और दरिद्र हो सकता है। 

दशम भाव स्वामी दशमेश का तृतीय भाव में फल :-

तृतीय भाव को प्रयास करते रहने का भाव माना जाता हैं। ज्योतिष में तृतीय भाव पराक्रम, छोटे भाई-बहिन, कंठ-गला एवं साहस का होता है। जन्मकुंडली के तृतीय  भाव में दशम  भाव का स्वामी उपस्थित होने पर जातक को अपने परिवार से लाभ मिल सकता है। ऐसा जातक अपने शौक को अपना पेशा बनाकर धन का अर्जन कर सकता है। 

वह जातक लेखक या सफल प्रोफेसर बन सकता है। जातक सेल्स ,मार्केटिंग अथवा यूट्यूबर के रूप में भी ख्याति प्राप्त कर सकता है। जातक बहुत भाग्यशाली होता है। जातक को अपने मित्रो से सहयोग मिल सकता है। ऐसा जातक एक सफल व्यापारी अथवा प्रबन्धक भी हो सकता है। 

किसी काम के सिलसिले में जातक को यात्रा करने का अवसर मिल सकता है।

ऐसा जातक एक सफल वक्ता भी होता है। जातक का कोई बड़ा भाई नहीं होगा अथवा कम होगे। 

जातक के पुत्र किसी सेवा में हो सकते है।  

दशम भाव स्वामी दशमेश का चतुर्थ भाव में फल :-

चतुर्थ भाव को सुख का भाव माना जाता है। ज्योतिष में कुंडली में चतुर्थ भाव माता, वाहन, प्रॉपर्टी, भूमि, मन, ख़ुशी, शिक्षा तथा भौतिक सुख इत्यादि का कारक भाव होता है। अगर जातक के जन्मकुंडली में दशम  भाव का स्वामी जातक के चतुर्थ भाव में उपस्थित हो तो जातक देश का मंत्री हो सकता है। 

ऐसे व्यक्ति को कई क्षेत्रो का ज्ञान होता है। जातक का रियल स्टेट ,होम फर्नीशिंग अथवा ऑटोमोबाइल का का व्यापार हो सकता है। बचपन के दोस्त जातक के बिजनेस पार्टनर हो सकते हैं। जातक का परिवार से बढ़िया संबंध होगा। वह व्यक्ति समाज में प्रतिष्ठित और सम्मानित होगा। जातक मकान ,वाहन का सुख भोगेगा। 

ऐसे जातक का प्रथम पुत्र विदेश में कुछ प्रशंसनीय कार्य कर सकता है। वह व्यक्ति का बड़ा भाई जीवन में अच्छी स्थिति में होगा। 

यदि दशम भाव का अधिपति कोई पापी ग्रह हो और वह चतुर्थ भाव में स्थित हो तो जातक को भावनात्मक समस्याओ का सामना कारण पड़ सकता है। ग्रहों की अशुभ स्थिति के कारण जातक अपना जमीन खो सकता है।   

चतुर्थ भाव स्वामी का अन्य भावों में फल   

दशमेश का पंचम भाव में फल :-

पंचम भाव को त्रिकोण अथवा लक्ष्मी का भाव  माना जाता है। ज्योतिष में पंचम भाव उच्च शिक्षा, संतान, प्रेम एवं टेलेंट का होता है। दशम  भाव यदि जातक के पंचम भाव में विद्यमान हो तो ऐसा जातक के जीवन में राजयोग की स्थिति बनती है। 

वह जातक बहुत बुद्धिमान होता है। जातक को उच्च शिक्षा की प्राप्ति होती है। वह जातक सफल प्रशासक ,ज्योतिषी अथवा धार्मिक नेता बन सकता है। जातक अपने क्षेत्र का प्रमुख होता है। जातक के बड़े भाई दीर्घायु होते है। जातक का पवित्र जीवन दूसरों के लिए आदर्श बनेगा। 

ऐसे जातक का जीवन सुखमय व्यतीत होता है। 

जातक खेल ,मनोरंजन ,मीडिया अथवा सिनेमा या फिर किसी अन्य रचनात्मक क्षेत्र में रूचि लेने वाला  हो सकता है।  और आगे चलकर इन्ही में से किसी को चुनकर कैरियर की शुरुआत कर सकता है। इसके अलावा जातक जोखिम वाले कामो में पैसा लगाने में दिलचस्पी रख सकता है जैसे कि- शेयर मार्केट ,सट्टे का कारोबार आदि ।

दशमेश पीड़ित होने पर जातक के माता जी अल्पायु में ही स्वर्ग सिधार सकते है,जिससे जातक को अपने माँ से हमेशा के लिए बिछड़ना पड़ सकता है।  

पंचम भाव स्वामी का अन्य भावों में फल 

दशम भाव स्वामी दशमेश का षष्ठम भाव में फल :-

षष्ठम भाव को शत्रु ,कर्ज एवम व्याधियों का भाव माना जाता है। ज्योतिष में छ्टा भाव रोग, ऋण, शत्रु व मामा का भी होता है। यदि दशम  भाव का स्वामी जातक के जन्मकुंडली के षष्ठम भाव में विद्यामान हो तो ऐसा जातक जातक जेल अथवा न्यायिक क्षेत्र से जुड़ा हुआ हो सकता है। 

ग्रहों की अच्छी स्थिति होने पर जातक को धन अर्जन करने के अवसर मिलते रहते हैं। इसके विपरीत होने पर जातक कानूनी विवादों मे फँस सकता है। ऐसे में जातक को जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है।

ऐसे जातक का कोई चिकित्सालय का व्यापार हो सकता है जिसमे जातक सफलता को प्राप्त कर सकता है। ग्रहों की शुभ स्थिति होने पर जातक तेल के व्ययसाय में भी अच्छी सफलता प्राप्त कर सकता है। 

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दशवे ग्रह के स्वामी प्रबल होने पर जातक अपने प्रतियोगी परीक्षाओ में अच्छा प्रदर्शन कर सकता है। जातक के पिता जी का कोई सरकारी जॉब हो सकता है जहां से वो धन अर्जन कर सकते है। 

जातक के भाई-बहन धनवान होंगे तथा जीवन में अच्छी स्थिति में होंगे। 

यदि दशम भाव का स्वामी ग्रह पीड़ित हो और वह षष्ठम भाव में विद्यमान हो तो जातक की पेशेवर सफलता उसकी असफलता में बदल सकती है। 

दशमेश का सप्तम भाव में फल :-

सप्तम भाव को विवाह तथा व्यापार का भाव माना जाता हैं। ज्योतिष में सप्तम भाव जीवनसाथी, व्यापार, साझेदार, व विदेश यात्रा का होता है। जन्मकुंडली में यदि दशम  भाव का स्वामी सप्तम भाव में विद्यमान हो तो ऐसे जातक का व्यक्तित्व अत्यंत आकर्षक होता है। ऐसे जातक अपने काम के प्रति समर्पित होते हैं।

जातक की जीवनसंगनी बहुत सुंदर और सुशील होती है। जातक की पत्नी उच्च शिक्षित होती है।जातक अपने वैवाहिक जीवन से संतुष्ट होता है। ऐसा जातक धनी होता है और आमतौर पर जातक को विदेश यात्रा का अवसर मिलता रहता है। जातक का काम लोगों से बातचीत करना , पार्टनर बनाना होता हैऔर उनसे डील करना होता है। 

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बिजनेस में जातक की पत्नी जातक को सलाह देती है जिससे जातक को बिजनेस में अपने पत्नी से सहयोग मिलता रहता है। ऐसे जातक विदेश में जातक खूब धन कमाते हैं।  जातक के बड़े भाई या बहन विदेश में निवास करने वाले हो सकते है। 

यदि दशम भाव का स्वामी कोई पाप ग्रह हो और वह सप्तम भाव में विद्यमान हो तो जातक कामुक प्रवृत्ति का हो सकता है। ऐसे में जातक एक से अधिक लोगों से संबंध बना सकता है। 

दशम भाव स्वामी दशमेश का अष्टम भाव में फल :-

ज्योतिष में अष्टम भाव आयु, मृत्यु, आकस्मिक घटना, पूर्व-जन्म के पाप कर्म, गुप्त-विद्या एवं आध्यात्म का होता है। यदि जातक की जन्मकुंडली में दशम  भाव का स्वामी अष्टम भाव मेंं उपस्थित हो तो जातक शोधकर्ता ,पत्रकार या ज्योतिष अथवा खनिक ,जासूस या फिर लेखाकर बन सकता है। ग्रहों की प्रबल स्थिति होने पर जातक को कम समय के लिए किसी उच्च पर पर नियुक्त किया जा  सकता है। 

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जातक के बड़े भाई या बहन जीवन में अच्छी स्थिति में होंगे। 

ऐसे जातक का अध्यात्मिकता की ओर झुकाव हो सकता है। 

दशमेंश अशुभ ग्रहों से पीड़ित होने पर जातक का अपने पिता जी से विवाद हो सकता है। ऐसे जातक अपराधी या स्मलगलर हो सकते है। आमतौर पर ऐसे जातक किसी गुप्त गतिविधियों में शामिल रहते हैं। जातक का जीवन अल्पायु हो सकता है।     

दशमेश का नवम भाव में फल :-

ज्योतिष में नवम भाव भाग्य, धर्म, पिता, उच्च-शिक्षा एवं विदेश यात्रा का होता है। नवम भाव को पूरी कुंडली का सबसे महत्वपूर्ण भाव माना जाता है। यदि जातक की जन्मकुंडली मेंं दशम  भाव का स्वामी नवम भाव मेंं उपस्थित हो तो जातक के जीवन में राजयोग का निर्माण होता है। ऐसे जातक धार्मिक स्वभाव के होते हैं। 

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जातक को विरासत में व्यापार मिल सकता है। उस व्यक्ति को कुटुंब से परंपरागत शिक्षा की प्राप्ति होती है। ऐसे जातक को अपने परिवार से गहरा लगाव होता है। जातक को किसी काम के सिलसिले में यात्रा करने का अवसर मिल सकता है। 

ऐसे जातक वकील ,प्रोफेसर या डॉक्टर के रूप में धन अर्जन कर सकते है। 

जातक का पुत्र आज्ञाकारी होगा। ग्रहों की प्रबल स्थिति होने पर जातक वैज्ञानिक अथवा गणितज्ञ भी बन सकता है। 

यदि दशमेंश पीड़ित हो और वह नवम भाव में विद्यामान हो तो जातक को अपने पिता से दूर रहना पड़ सकता है। 

दशमेश का दशम भाव में फल :-

दशम भाव को कर्म का भाव माना जाता हैं। ज्योतिष में दशम भाव कर्म, राज्य, नेतृत्व क्षमता, उत्तरदायित्व एवं प्रसिद्धि का होता है। जातक की जन्मकुंडली में दशम  भाव का स्वामी दशम भाव में विद्यामान हो तो ऐसे जातक आत्मविश्वासी होते हैं। जातक पर पिता जी के प्रतिष्ठा का प्रभाव पड़ता है। जातक के पिता जी धनवान होगे। 

जातक का व्यक्तित्व आकर्षक होता है। ऐसे व्यक्ति का समाज में सम्माननीय स्थान होता है। जातक को मकान और वाहन का सुख भी मिलता है।  ग्रहों की  शुभ स्थिति होने पर जातक का जीवन में अच्छी स्थिति होती है। जातक खूब धन का अर्जन करता है और समृद्धि और प्रसिद्धि प्राप्त करता है।  

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यदि दशम भाव का स्वामी पीड़ित हो और वह दशम भाव में विद्यमान हो तो जातक को दूसरों के अधीन रहकर कार्य कारना पड़ सकता है। 

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दशमेश का एकादश भाव में फल :-

एकादश भाव को लाभ का भाव माना जाता हैं। ज्योतिष में एकादश भाव आय, लाभ, बड़े भाई-बहिन, मित्र एवं आभूषण का होता है। यदि दशम  भाव का स्वामी जातक के जन्मकुंडली के एकादश भाव में स्थित हो तो ऐसा जातक को अपने आजीविका से बहुत अधिक धन की प्राप्ति होती है। ऐसा जातक अपने प्रयासों के लिए ईनाम प्राप्त करता है। जातक किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी के लिए काम कर सकता है। जातक दूसरों को रोजगार देने मे मदद कर सकता है। 

ग्रहों की अशुभ स्थिति होने के कारण जातक को अपने मित्रों से धोखा मिल सकता है। 

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दशमेश का द्वादश भाव में फल :-

ज्योतिष में द्वादश भाव व्यय, हानि, मोक्ष, विदेश प्रवास एवं गूढ़ विद्या का होता है। यदि जातक के जन्मकुंडली के द्वादश भाव में दशम  भाव का अधिपति विराजमान हो तो जातक को विदेश में कार्य करने का अवसर मिल सकता है। ग्रहों की शुभ स्थिति होने पर जातक संत बन सकता है। 

ऐसे जातक को कम वेतन वाला नौकरी मिल सकता है। 

दशमेंश का कुंडली के बारह भावों में फल (निष्कर्ष)

जन्म कुंडली के दशम  भाव के स्वामी दशमेश  का कुंडली के बारह भावों मेंं , विभिन्न  भाव के अनुसार अलग-अलग फल मिलता है। आपने जाना कि आपको इसका अच्छा (सकारात्मक) फल भी मिल सकता है और नकारात्मक  भी मिल सकता है।

आज का पंचांग क्या कहता है 

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