लग्नेश का कुंडली के बारह भावों में फल
कुंडली के 12 भावों मे से प्रथम भाव को लग्न भाव कहते हैं तथा इस भाव के अधिपति गृह को लग्नेश कहते हैं। ज्योतिषशास्त्र में ऐसा माना जाता है कि जातक के जन्म कुंडली के जिस भाव में लग्नेश विद्यमान होता है उन्ही मे जातक की अधिक रूचि होती है।
किसी व्यक्ति का आने वाला जीवन कैसा होगा यह दूसरे अन्य कारको के साथ लग्नेश का कुंडली के भाव की स्थिति पर भी निर्भर करता है। प्रत्येक भाव के ऊपर लग्नेश का प्रभाव अलग-अलग होता है।
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चलिए जानते है कि लग्नेश का कुंडली के सभी बारह भावों में क्या-क्या फल मिलता है?
अष्टम भाव स्वामी का अन्य भावों में फल
लग्नेश का प्रथम भाव में फल
अगर लग्न भाव का स्वामी प्रथम भाव में विद्यमान होता है तो जातक विचारवान तथा विद्वान होता है। ऐसे जातक को आमतौर पर जीवन में सफलता मिलती रहती है। जिससे वह सुखी, स्वस्थ, ऐश्र्वर्य संपन्न होता है तथा दीर्घायु जीवन जीता है।
यदि प्रथम भाव के जातक का लग्नेश पीड़ित अवस्था में हो, अशुभ ग्रहों से युत या दृष्ट हो तो ऐसे में जातक का स्वास्थ्य खराब रहता है और वह अस्थिर मानसिकता युक्त होने के कारण अनैतिक कार्यों को करने लगता है।
लग्नेश का द्वितीय भाव में फल
किसी जातक के कुंडली में यदि लग्नेश द्वितीय भाव में स्थित होता है तो ऐसे जातक विद्वान, शुभ प्रकृति युक्त, धार्मिक स्वभाव के होते हैं। ऐसे जातको को व्यापार में बहुत सफलता मिलती है तथा वे दूरदर्शी भी होते हैं। इन जातको को ज्योतिष तथा मनोविज्ञान जैसे विषयो में विशेष रूचि होती है। लग्नेश द्वितीय भाव में होने से ऐसे व्यक्ति अपने प्रयास से धन कमाते हैं जिससे उन्हे कभी धन की कमी महसूस नहीं होती है। ये जातक अपने परिवार के लोगों से मिल-जुलकर रहेगे और उनसे खूब प्यार करेगे तथा उनका अच्छे से ध्यान रखने वाले होंगे। लग्नेश का द्वितीय भाव में होने से ऐसे जातक खाने और पीने के भी शौक़ीन होंगे।
धन भाव स्वामी का अन्य भावों में फल
यदि लग्नेश यहाँ पीड़ित हो तो जातक इन सब गुणों के विपरीत निष्ठुर, कुटुम्ब जनों से द्वेष रखने वाला, कामी, स्वार्थी तथा धन लोलुप होता है।
लग्नेश का तृतीय भाव में फल
जब लग्न भाव का अधिपति तृतीय भाव में उपस्थित होता है तो जातक लघु यात्रा का शौक़ीन होता है। वह देश-विदेश में भ्रमण करने में रूचि रखता है। इस भाव में लग्नेश का होना कलात्मक विकास के लिये अति शुभ सिद्ध होता है। इस जातक के लोग विद्वान होने के कारण सभी तरह के सुखों से युक्त हैं तथा इनके जीवन में खुशहाली बनी रहती है। ऐसे लोग प्रतिष्ठित, कलाकार जैसे कि संगीतकार, नर्तक, अभिनेता, या फिर खिलाड़ी, लेखक अथवा गणितज्ञ आदि के रूप में प्रसिद्ध होते हैं। यदि लग्नाधिपति यहाँ शुभ स्थिति में है तो भाइयो के बीच प्रेम होता है जिससे सम्बन्ध बढ़िया बनाता है
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लेकिन यदि लग्नेश यहाँ पीड़ित हो तो विपरीत परिणाम मिलते हैं। इससे जातक में साहस तथा पराक्रम की कमी देखने को मिलती है।
लग्नेश का चतुर्थ भाव में फल
यदि लग्नेश चतुर्थ भाव में होता है तो यह स्थिति राजयोग का कारक माना जाता है।
ऐसे जातक आध्यात्मिक विषयों में रुचि लेते है और इनके पास धन और समृध्दि आती रहती है। इस जातक के लोग अपने माता-पिता से बहुत ही प्यार करते हैं। ऐसे जातक को मकान ,वाहन,बंधू-बान्धव,माता-पिता इत्यादि का पर्याप्त सुख मिलता है। लग्नेश का चतुर्थ भाव में होना प्रसिध्दि, धन तथा विद्या का सूचक माना जाता है साथ ही यह माता की समृध्दि के लिये भी शुभ होता है।
ऋषि पराशर के अनुसार, जातक माता-पिता सम्बन्धी भरपूर सुख प्राप्त करता है तथा उसे किसी प्रकार की दुख नहीं होती वह सुख-सुविधा सम्पन्न होता है।
लग्नेश का पंचम भाव में फल
जब लग्न भाव का स्वामी पंचम भाव में विद्यमान होता है तो जातक मध्यम संतान प्राप्त करने वाला, राजकार्य प्रिय व विद्यावान होता है। अगर लग्नेश शुभ ग्रह में हो तो वह अति उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाला होता है।
ऐसे जातक प्रसिध्द, शासकों का प्रिय, अति विद्वान तथा कलात्मक अभिरुचि वाले होते है। इसके साथ जातक आमोद-प्रमोद व मनोरंजन का प्रेमी, संतान से सुख पाने वाला तथा यशस्वी होता है।
पराक्रम भाव स्वामी का अन्य भावों में फल
लग्नेश का षष्ठ भाव में फल
लग्नेश का षष्ठ भाव में होना अशुभ फल प्रदान करता है। जातक शरीर से कमजोर होता है। लेकिन अगर लग्नेश शुभ स्थिति में शुभ ग्रहों से युत तथा दृष्ट हो तो जातक स्वस्थ रहेगा तथा खेलकूद के प्रति रुचि रखने वाला होगा। यदि षष्ठ भाव में स्थित लग्नेश यदि बलिष्ठ होने से जातक चिकित्सा क्षेत्र अथवा सेना में उच्च पद प्राप्त करेगा ।
मगर लग्नेश इस भाव में अशुभ ग्रहों से युत अथवा दृष्ट हो तो स्वास्थ्य की दृष्टि से शुभ नही है । लग्नेश कोई पाप ग्रह होने से जातक को रुग्णता व कर्जदार भी बनाता है। जातक को अपने शत्रुओं से भी मुसीबतें का सामना करना पड़ेगा।
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लग्नेश का सप्तम भाव में फल
यदि लग्नेश सप्तम भाव में हो तो जातक को सुंदर- सुशील और पतिपरायण पत्नी मिलती है क्योकि वह जातक सुशील तथा ओजस्वी होता है। ऐसे जातक को अपने पत्नी से बहुत प्यार होता है। जातक को भ्रमण तथा पर्यटन से लाभ मिलता रहता है जिससे प्रदेश में निवास करने वाला होने के कारण जातक विरक्त भाव वाला होता है। वह स्वास्थ्य तथा समृध्दि प्राप्त करने वाला होता है।
लग्नेश का अष्टम भाव में फल
यदि लग्न भाव का स्वामी अष्टम भाव में उपस्थित होता है तो जातक बुध्दिमान, सदाचारी, सौम्य स्वभाव, धार्मिक तथा यशस्वी होता है।
परंतु लग्नेश के अशुभ ग्रहों से युत या दृष्ट होने पर जातक गंभीर तथा असाध्य रोग से ग्रसित होने के कारण रुग्ण शरीर वाला होता है । धन संचय लोभी तथा कृपण। वह जातक धन को ही भगवान समझता है।
लग्नेश का नवम भाव में फल
लग्नेश का नवम भाव में होने पर जातक लोगों का प्रिय, ईश्वर के प्रति आस्थावान, कार्य-दक्ष, प्रखर प्रवक्ता क्षमाशील एवं भाग्यशाली होता है।
ऐसे जातक शास्त्रोक्त आचरण करते है तथा ये बहुत यश प्राप्त करते हैं।
नवम भाव में लग्नेश होने पर जातक अपने गुणों व कार्यों से देश के साथ-साथ विदेश में प्रसिध्द होते हैं तथा समाज में इनकी अच्छी प्रतिष्ठा होती है। जातक सच्चरित्र, नैतिक गुणों से भरपूर, विनयशील और कार्यकुशल व्यक्ति व्यक्ति होता है।
चतुर्थ भाव स्वामी का अन्य भावों में फल
लग्नेश का दशम भाव में फल
दशम भाव कर्म से सम्बन्धित है। लग्नेश का कुंडली के दशम भाव में उपस्थिति होने से जातक कर्मवीर होता है। वह अपने स्व-परिश्रम द्वारा धन अर्जित करता है। अपनी कार्यों से यश प्राप्त करने वाला होने के साथ-साथ राजकीय क्षेत्र में उच्च पद प्राप्त करनेवाला होता है । जातक माता-पिता का का खूब आदर-सम्मान करने वाला होता है। साथ में वह अपने गुरुजनों तथा देवता का भक्त भी होता है। वह व्यक्ति विद्वान, यशस्वी होता है तथा अपने पिता से सभी सुख-सुविधाएं सहज ही प्राप्त करता हैं।
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लग्नेश का एकादश भाव में फल
जब किसी जातक के कुंडली में लग्नेश एकादश भाव में विद्यमान हो तो जातक गुणी, यशस्वी, विद्वान, सदाचारी तथा पिता के यश को बढ़ाने बढ़ाने वाला होता है। वह व्यक्ति धन-वैभव सम्पन्न, संतान पक्ष से सुखी होता है तथा दीर्घायु को प्राप्त होता है। ऐसे जातक को अपने मित्रों के मदद से धन लाभ तथा सुख वैभव की प्राप्ति होती है। इसलिए ऐसा जातक रूपये पैसे के मामले में धनी होता है । वह जातक पुत्र तथा संतान का उत्तम सुख भोगता है।
पंचम भाव स्वामी का अन्य भावों में फल
लग्नेश की दशा-अन्तर्दशा में जातक उन्नति करता रहता है , उसे तरह-तरह के अधिकार मिलते रहते है , धन तथा यश को भी प्राप्त करता रहता है
लग्नेश का द्वादश भाव में फल
लग्न भाव के अधिपति का कुंडली के द्वादश भाव में होने से जातक दान, पुण्य व परोपकार में धन का सदुपयोग करता है । शुभ प्रभाव युक्त लग्नेश का द्वादश भाव में स्थित होने से जातक को अनावश्यक कामों से धन का नुकसान , शारीरिक सुख में कमी तथा अपने स्वजनों से दूर प्रवास या अलगाव उत्पन्न करने वाला होता है।
द्वादश भाव मोक्ष स्थान होने के कारण जातक आध्यात्म में रुचि लेने वाला हो सकता है । लग्नेश पीड़ित होने पर यह जातक को दुर्व्यसन में डालता है जिससे वह असत्य बोलने वाला, जुआ खेलने वाला तथा धन व्यय करने वाला बन जाता है।
मृत्यु भाव स्वामी का अन्य भावों में फल
निष्कर्ष
लग्नेश का कुंडली के बारह भावों में ,कुंडली के भाव के अनुसार अलग-अलग फल मिलता है। आपने जाना कि आपको इसका अच्छा (सकारात्मक) फल भी मिल सकता है और नकारात्मक फल भी मिल सकता है।
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