सप्तम भाव स्वामी सप्तमेश का विभिन्न भावों में फल
जातक के जन्मकुंडली के सप्तम भाव को विवाह तथा व्यापार का भाव माना जाता हैं। इस भाव के स्वामी को सप्तमेश कहते हैं।
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सप्तमेश जातक के जन्मकुंडली के अलग-अलग भावों में बैठकर अलग-अलग फल प्रदान करता है। जातक की रूचि अन्य कारकों के साथ इस बात पर भी निर्भर करता हैं जातक के जन्मकुंडली के भाव पर सप्तमेश क्या प्रभाव डाल रहा हैं।
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आइये जानते हैं कि सप्तमेश का जातक के भावानुसार इसके क्या फल मिलते हैं।
सप्तम भाव स्वामी सप्तमेश का प्रथम भाव में फल:-
सप्तम भाव यदि जातक के प्रथम भाव में विद्यमान हो तो ऐसा जातक बहुत बुद्धिमान और तार्किक होता है।लेकिन जातक स्वभाव से थोड़ा स्वार्थी होता है और केवल अपने लिए ही सोचता है कि समाज में मेरा अच्छा नाम पहचान हो जिससे दूसरों की बातों का कोई कद्र नहीं करता है।
प्रथम भाव स्वामी का अन्य भावों में फल
ऐसे जातक का विवाह किसी परिचित लड़की के साथ हो सकता है। शादी के बाद जातक का भाग्य चमक उठेगा। ऐसा जातक अपने पत्नी से बेहद प्रेम करने वाला होता है। जातक की अन्यों तक पहुँच बनी रहती है। आमतौर पर जातक से शिक्षक ,मेंंटर ,बिजनेस पार्टनर मिलने के लिए आते रहते हैं।
ऐसे जातक को शिक्षा अथवा बिजनेस के मामले में विदेश जाने का अवसर मिल सकता है। जातक का कोई बड़ा भाई पहले से विदेश में निवास करता है। ऐसे में जातक को अपने बड़े भाई से विदेश में काफी मदद मिल सकती है। जातक विदेश में स्थायी रूप से निवास करने की योजना भी बना सकता है।
जातक का दूसरा पुत्र और उसके बड़े भाई या बहन के पुत्र दीर्घायु होते हैं। जातक की माता जी के पास अच्छी संपत्ति हो सकती है। ऐसे जातक की माता सुखपूर्वक जीवन-यापन करती है। यदि सप्तम भाव का स्वामी ग्रह पीड़ित हो और वह प्रथम भाव में उपस्थित हो तो ऐसे जातक का जीवन समस्याओ से घिरा होता है।
जातक घुमक्कड़ और कामुक स्वभाव का हो सकता है। ऐसी स्थिति में जातक का किसी दूसरे स्त्री से संबंध हो सकता है।
सप्तम भाव स्वामी सप्तमेश का द्वितीय भाव मेंं फल:-
यदि जातक की जन्मकुंडली में सप्तम भाव का स्वामी द्वितीय भाव मेंं उपस्थित हो तो जातक के आर्थिक स्थिति पर उसके पत्नी का प्रभाव पड़ेगा। हो सकता है कि जातक के विवाह के बाद उसे अपने जीवनसंगनी के जरिये धन लाभ हो। इसके अलावा जातक को अपने किसी सहयोगी के मदद से भी धन की प्राप्ति हो सकती है।
ग्रहों की अच्छी स्थिति होने पर जातक की पत्नी का परिवार के सदस्यों से अच्छा व्यवहार होता है। ऐसे जातक की पत्नी जातक के स्वादानुसार भोजन बनाती है। जातक का वित्त अथवा खाद्य संबंधी कोई व्यापार हो सकता है। ऐसे व्यक्ति का पुत्र अपने प्रतिभा के बल पर पेशेवर लेखक के रूप में यश प्राप्त करेगा।
यदि सप्तम भाव का स्वामी अशुभ ग्रहों के प्रभाव से पीड़ित हो और वह द्वितीय भाव मेंं विद्यमान हो तो ऐसे जातक की दो पत्नी हो सकती है। जातक की रूचि यौन संबंध बनाने में होती है अतःऐसे जातक देह व्यापार के कार्यों में सलग्न हो सकते हैं। पत्नी भी इसी कार्य को करने वाली हो सकती है। जातक किसी रोग से पीड़ित हो सकता है। गंभीर रोग होने पर जातक की मृत्यु भी संभव है।
धन भाव स्वामी का अन्य भावों में फल
सप्तम भाव स्वामी सप्तमेश का तृतीय भाव में फल:-
यदि सप्तम भाव का स्वामी जातक के जन्मकुंडली के तृतीय भाव में स्थित हो तो ऐसा जातक स्वभाव से दयालु होता है और जातक का अपने रिश्तेदारों एवं परिजनो से अच्छा व्यवहार होता है। जातक अपने प्रयत्न के बल पर सफलता और यश प्राप्त करता है।
जातक का विवाह किसी विज्ञापन के जरिये हो सकता है। जातक की जीवनसंगनी बहुत सुंदर होगी तथा वह किसी अच्छे खानदान से ताल्लुक रखने वाली होगी। ऐसा जातक अपने संतान से बहुत प्रेम करने वाला होगा।कौन सा रत्न आपको धारण करना चाहिए ?
जातक का पहला पुत्र पेशेवर लेखक के रूप में यश प्राप्त करेगा। जातक मीडिया अथवा किसी संवादी क्षेत्र से संबंधित हो सकता है। आमतौर पर जातक को यात्रा के लाभ मिलते रहते है। जातक को किसी व्यवसाय के सिलसिले में विदेश भी जाना पड़ सकता है।
यदि सप्तम भाव का स्वामी पाप ग्रहों से पीड़ित हो और वह चतुर्थ भाव में स्थित हो तो जातक की पत्नी का घर के परिजनो से किसी बात को लेकर विवाद हो सकता है। ऐसे में जातक की दूसरी शादी भी संभव है। जातक को किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या भी हो सकती है। रोग गंभीर होने पर जातक की मृत्यु भी हो सकता है।
तृतीय भाव स्वामी का अन्य भावों में फल
सप्तमेश का चतुर्थ भाव में फल:-
यदि सप्तम भाव का स्वामी जातक के जन्मकुंडली के चतुर्थ भाव में विद्यामान हो तो ऐसे जातक का जन्म किसी सम्पन्न परिवार में होता है। ऐसे जातक का पिता बहुत धनवान होता है इसलिए जातक को अच्छी शिक्षा मिलती है। जातक के पिता एक प्रभावशाली वक्ता हो सकते हैं।
वह जातक बुद्धिमान और तार्किक होता है। वह जातक स्वभाव से विनम्र,सत्यवादी और धार्मिक होता है। जातक का विवाह एक सुंदर कन्या के साथ हो सकता है। विवाह के बाद ऐसे जातक का भाग्य चमक उठता है। जातक को पत्नी के जरिये धन लाभ हो सकता है। जातक को अपने बिजनेस के लिए किसी सहयोगी की तलाश होती है।
ऐसे व्यक्ति को किसी व्यापार अथवा शिक्षा के संबंध में विदेश भी जाना पड़ सकता है। जातक को पत्नी,पुत्र तथा वाहन और संपत्ति का पर्याप्त सुख मिलता है। जातक का मालिक (बॉस) कोई महिला हो सकती है जिसके अंतर्गत जातक को काम करना पड़ सकता है।
यदि सप्तम भाव का स्वामी पीड़ित हो और वह चतुर्थ भाव मेंं उपस्थित हो तो ऐसे जातक की धर्मपत्नी जिद्दी स्वभाव की होती है। जो जातक की बातों को अनदेखा करती रहती है ऐसे में जातक के वैवाहिक जीवन में कई गंभीर समस्याए हो जाती हैं।
समय-समय पर जातक की पत्नी को जातक को छोडकर अपने मायके अपने पिता के यहाँ चली जाती है। सप्तम भाव का अधिपति ग्रह पीड़ित होने पर जातक अत्यंत कामुक प्रवृत्ति वाला बन जाता है जिससे उसका पिता पसंद नहीं करता है।
ग्रहों की अशुभ स्थिति होने पर जातक का किसी वाहन से दुर्घटना भी सकता है। जातक की माता जी मानसिक रूप से अस्वस्थ्य भी रहा करती हैं।
सप्तमेश का पंचम भाव मेंं फल:-
जन्मकुंडली के सप्तम भाव में पंचम भाव का स्वामी उपस्थित होने पर जातक का विवाह जल्दी हो सकता है। जातक की पत्नी किसी अच्छे खानदान की होगी। जातक का यह विवाह प्रेम विवाह भी हो सकता है । जातक की पत्नी आर्थिक रूप से स्वतंत्र होगी।
ऐसा जातक बहुत ही साफ दिल का होता है। जातक में थोड़ी-थोड़ी सभी गुण मौजूद होते हैं। वह जातक ज्ञानवान लोगों के आस-पास रहता है। जातक का बिजनेस पार्टनर कोई महिला या उसकी माँ हो सकती है। जातक अपने किसी सहयोगी की मदद से अपने जीवन में वाहन सुख और सफलता को प्राप्त करेगा।
ऐसा व्यक्ति धन-दौलत के मामले में बहुत सम्पन्न होता है। जातक को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। जातक का जीवन बहुत आनंदमय होता है। जातक को संतान और पत्नी का भरपूर सुख मिलता है। जातक का पुत्र बहुत चरित्रवान होता है। यह पुत्र अपने दम पर अपना जीवन व्यवस्थित करने वाला होता है ।
पंचम भाव स्वामी का अन्य भावों में फल
जातक का पुत्र एक पेशेवर लेखक के रूप में यश प्राप्त करता है जिससे जातक को लाभ मिलता है। जातक के पिता को कम प्रयास से ही आय का एक अच्छा स्त्रोत मिल जाता है। यदि जातक की जन्मकुंडली में सप्तम भाव का स्वामी अशुभ ग्रहों से पीड़ित हो तो इससे वैवाहिक जीवन में कई समस्याए आती हैं ।
जातक को संतान प्राप्ति में कई समस्याओ का सामना करना पड़ सकता है। ग्रहों के प्रभाव से जातक की दूसरी शादी भी हो सकती है। जातक की पत्नी केवल अपने संतान से ही प्रेम करेगी अपने पति से प्रेम नहीं करेगी। जातक की पत्नी कभी कभी महत्वपूर्ण बातों पर अपना सलाह दे सकती है। जातक का पुत्र भी अपने पिता से दूरी बनाए रखने वाला होगा।
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सप्तमेश का षष्ठम भाव मेंं फल:-
यदि जातक के जन्मकुंडली के षष्ठम भाव में सप्तम भाव का अधिपति विराजमान हो तो ऐसा जातक के विवाह होने में बहुत देरी होती है। ऐसे जातक की पत्नी विदेशी मूल की अथवा भिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से हो सकती है। जातक का पुत्र एक पेशेवर लेखक के रूप धन का अर्जन कर यश प्राप्त करता है और अपने पिता का नाम रौशन करता हैं।
जातक का बड़ा भाई या बड़ी बहन बहुत बुद्धिमान हो सकते हैं। यदि सप्तम भाव का स्वामी ग्रह अशुभ हो और वह षष्ठम भाव मेंं विद्यमान हो तो जातक का छोटा भाई या छोटी बहन को जीवन कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता हैं। जातक के पत्नी को कोई रोग हो सकता है जिससे जातक की पत्नी शारीरिक रूप से कमजोर हो सकती है अथवा जातक की पत्नी चिकित्सालय मेंं भर्ती हो सकती है।
अशुभ ग्रहों के प्रबल प्रभाव होने पर जातक की पत्नी का देहांत भी सकता है। ग्रहों के अशुभ प्रभाव के कारण जातक यौन संबंधी किसी बुरी आदत के शिकार हो सकते है अथवा जातक नपुंसक भी हो सकता है। जातक के जीवन मेंं किसी से अथवा अपने बिजनेस पार्टनर से विवाद होने पर यह मामला न्यायालय तक पहुँच सकता है। जातक के किसी महिला के संपर्क में आने से जातक को क्षय रोग (ट्यूबरकुलोसिस) हो सकता है।
सप्तम भाव स्वामी सप्तमेश का सप्तम भाव मेंं फल:-
यदि सप्तम भाव का स्वामी जातक के सप्तम भाव में ही स्थित हो जातक सुंदर और आकर्षक व्यक्तित्व वाला होता है। जातक को बेहतर शिक्षा मिलता है। वह जातक बुद्धिमान और समझदार होता है। ऐसे जातक का विवाह शीघ्र हो सकता है। जातक की जीवनसंगनी अच्छे खानदान से होती है तथा जातक का वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।
जातक को अपने जीवनसाथी से पूर्णरूप से संतुष्ट रहता है। जातक को उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। जातक का पुत्र पेशेवर लेखक के रूप में नियम-कानून या यात्रा अथवा दर्शनशास्त्र जैसे विषयों पर लिखकर यश प्राप्त कर सकता है। ऐसे जातक के पास पेशेवर तौर पर कौशल होती है और जातक का आंपने समाज में सम्मानीय व्यक्ति होता है।
जातक का राजनीति में रूचि हो सकता है या फिर जातक को कोई करीबी मित्र राजनीति में हो सकता है जिससे जातक का राजनीति से संपर्क बना रह सकता है। जातक को किसी कारणवश या किसी काम-काज के सिलसिले में विदेश भी जाना पड़ सकता है। इस तरह जातक को विदेश यात्रा का लाभ भी मिल सकता है।
ऐसा जातक दीर्घायु होता है। जातक के भाई-बहन भी बहुत बुद्धिमान होते हैं और अपने जीवन में अच्छी स्थिति में होते हैं तथा अपने बच्चों के साथ खुश रहते हैं। जातक की माता भी सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करती है। यदि सप्तम भाव का स्वामी ग्रह पीड़ित हो और वह सप्तम भाव में विद्यमान हो तो जातक विवाह के बाद रोगों से पीड़ित हो सकता है। ऐसे में जातक को अकेले ही जीवन यापन करना पड़ सकता है।
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सप्तमेश का अष्टम भाव में फल:-
अगर जातक के जन्मकुंडली में अष्टम भाव का स्वामी जातक के सप्तम भाव में उपस्थित हो और ग्रहों की शुभ स्थिति हो तो जातक अपने पत्नी के सहयोग से अच्छा धन कमा सकता है। जातक का प्रथम पुत्र निवास स्थान को बदल सकता है। वहीं जातक का दूसरा पुत्र अच्छा कमाई करने वाला बनेगा।
यदि सप्तम भाव का स्वामी ग्रह पीड़ित हो और वह अष्टम भाव मेंविद्यमान हो तो पति-पत्नी के बीच किसी बात की गलतफहमी की वजह से रिश्तो में दरार आ सकता है। जातक पत्नी से अलग रहने वाला बन सकता है जिससे वैवाहिक जीवन का पूरा आनंद किरकिरा हो सकता है। पत्नी अपने पति के प्रति सम्मानजनक व्यवहार नहीं करेगी।
जातक अथवा उसकी पत्नी किसी यौन रोग से पीड़ित सकते हैं। जातक का अपनी पत्नी से तलाक हो सकता है। ग्रहों की प्रबल स्थिति होने पर जातक की दूसरी शादी संभव है। पेशेवर जीवन में कोई नुकसान होने से जातक तनाव ग्रस्त हो सकता है। वाहन सुख में कमी आने से भी जातक को चिंता हो सकती है। विदेश में अथवा यात्रा के दौरान जातक की मृत्यु होने की संभवना है।
अष्टम भाव स्वामी का अन्य भावों में फल
सप्तमेश का नवम भाव में फल:-
जन्मकुंडली में यदि सप्तम भाव का स्वामी नवम भाव में विद्यमान हो तो जातक और उसके पत्नी का व्यवहार बहुत बढ़िया होता है। ये दोनों अच्छे स्वभाव के होते हैं। विवाह के बाद जातक का भाग्योदय हो सकता है।
नवम भाव स्वामी का अन्य भावों में फल
जातक की पत्नी धार्मिक स्वभाव वाली हो सकती है। ऐसे जातक की पत्नी उसके भाई या बहन अथवा पड़ोसियों से बहुत लगाव रखने वाली होती है।
यदि सप्तम भाव का स्वामी पीड़ित हो तो जातक कई स्त्री के साथ संबंध बनाने वाला होता है।
सप्तमेश का दशम भाव में फल:-
सप्तम भाव का अधिपति यदि जातक के दशम भाव में विद्यामान हो तो जातक अपने पेशेवर जीवन में अच्छी सफलता हासिल करता है। जातक अपने संबंधित पेशे में एक लीडर की तरह भी काम कर सकता है। जातक को धन का अर्जन करने वाली पत्नी मिल सकती है जिससे जातक की सफलता कई गुना बढ़ सकती है।
जातक को अपने जीवनसंगनी से अच्छा सुख मिलता है। जातक का समाज में सम्मानजनक स्थान होता है। जातक का जीवन दीर्घायु हो सकता है। जातक को विदेश यात्रा का अवसर भी मिल सकता है।
संभव है कि जातक को विदेश में सफलता मिल जाए अथवा जातक की आय का स्त्रोत विदेश हो सकता है। विदेश में जातक को अच्छा नाम पहचान मिल सकता है।
सप्तम भाव स्वामी सप्तमेश का एकादश भाव में फल:-
यदि जातक की जन्मकुंडली में सप्तम भाव का स्वामी एकादश भाव में उपस्थित हो तो जातक का व्यक्तित्व आकर्षक होता है और आसानी से लोग-बाग जातक की ओर खीचें चले आते हैं। ऐसा जातक दो या इससे अधिक पत्नियों वाला हो सकता है।
लाभ भाव स्वामी का अन्य भावों में फल
जातक को विवाह के बाद धन लाभ का योग बन सकता है। जातक की पत्नी अमीर घराने की हो सकती है। जातक अपने पत्नी के मदद से धन का अर्जन कर सकता है अथवा पत्नी खुद ही कमाई करके अपने पति को दे। जातक की पत्नी किसी बड़े भाई या फिर किसी मामा के परिजन से हो सकती है।
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सप्तमेश का द्वादश भाव में फल:-
जातक की जन्मकुंडली में सप्तम भाव का स्वामी द्वादश भाव में विद्यामान हो तो ऐसा जातक अपने पत्नी के लिए तरह-तरह के समान को खरीदने में अपना बहुत धन व्यय करते हैं अथवा जातक की पत्नी स्वयं ही अपने साजो-सामान खरीदने के लिए पैसे व्यय करती रहती है।
किसी कारणवश जातक की पत्नी को विदेश जाना पड़ सकता हैं। यदि सप्तम भाव का स्वामी ग्रह पीड़ित हो और वह द्वादश भाव में विद्यामान हो तो ऐसे जातक अपने पत्नी से संतुष्ट नहीं होते है और जातक किसी और से संबंध बनाने वाला बन जाता है।
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सप्तमेश का कुंडली के बारह भावों में फल (निष्कर्ष)
जन्म कुंडली के सप्तम भाव के स्वामी सप्तमेश का कुंडली के बारह भावों में , विभिन्न भाव के अनुसार अलग-अलग फल मिलते है। आपने जाना कि आपको इसका अच्छा (सकारात्मक) फल भी मिल सकता है और नकारात्मक भी मिल सकता है।
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