चंद्रमा का कुंडली के १२ भावों में फल
जिस प्रकार चंद्रमा की आकृति घटने-बढ्ने से समुद्र मे ज्वार-भाटा आता है। उसी प्रकार कृष्ण पक्ष मे चंद्रमा के घटने और शुक्ल पक्ष मे बढ्ने मे मनुष्य के तन और मन पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। चंद्रमा का अन्य ग्रहों से युति होने पर व्यक्ति को जीवन मे सफलता मिलती रहती है। व्यक्ति को धन ,वैभव और पद प्रतिष्ठा मिलता रहता है। जातक की रूचि अन्य कारकों के साथ इस बात पर भी निर्भर करता हैं जातक के जन्मकुंडली के भाव पर चंद्रमा का क्या असर पड़ रहा है। चंद्रमा जन्मकुंडली के अलग-अलग भावों मे बैठकर अलग-अलग फल प्रदान करता है। आइये जानते हैं कि चंद्रमा का कुंडली के बारह भावों मे क्या फल मिलता है।
चंद्रमा का प्रथम भाव मे फल:-
ज्योतिषशास्त्र में प्रथम भाव को लग्न भाव भी कहते हैं। चंद्रमा यदि जातक के प्रथम भाव में विद्यामान हो तो ऐसे जातक के लिए भावनाए बहुत महत्वपूर्ण होती है। जातक लोगो की भावनाओ को समझ पाने मे समर्थ होंगे यहाँ तक की दूसरों के विचार को भी जान जाएगे। ये जातक बहुत संवेदनशील होते हैं । ये अपने भावनाओ को दूसरों से नहीं छुपा सकते हैं।चंद्रमा का प्रथम भाव मे होने से जातक का अपने माता जी से अगाध प्रेम होगा। जातक दिल से रोमांचक हो सकते हैं। जातक विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित भी हो सकते हैं। ऐसे जातक संगीत और काव्य के भी प्रेमी हो सकते हैं। जातक का स्वरूप कांतिवान होगा। चंद्रमा के प्रभाव से जातक उच्च उच्च रक्त चाप से पीड़ित हो सकता है। जातक को सफ़ेद वस्तुओ के व्यवसाय मे भी अच्छी सफलता मिल सकती है।
चंद्रमा का द्वितीय भाव मे फल:-
द्वितीय भाव धन का भाव है। ज्योतिष मेंं द्वितीय भाव धन, वाणी, नेत्र व परिवार इत्यादि का होता है। अगर जातक के जन्मकुंडली में चंद्रमा द्वितीय भाव में उपस्थित हो तो ऐसे जातक बहुत बुद्धिमान होंगे और अपने वाणी से मधुरभाषी होगे। जातक का स्वभाव शांत और मिलनसार हो सकता है। जातक को जल से खतरा हो सकता है इसलिए जातक को जल से सावधानी रखने की जरूरत पड़ सकती है। जातक का गायन के क्षेत्र मे रूचि हो सकती है। जातक की आँखों मे किसी प्रकार का कष्ट अथवा श्वास लेने मे परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। जातक को अपने कुटुंब से सुख मिलेगा। जातक का विदेश मे निवास करने की संभावना है। जातक का समाज अच्छा नाम सम्मान होता है। जातक के बड़े भाई या बहन किसी हॉस्पिटल मे जॉब कर सकते हैं। जातक कोई ऐसा काम कर सकता है जिससे कई लोगों को रोजगार मिले।
चंद्रमा का तृतीय भाव मे फल:-
तृतीय भाव को प्रयास करते रहने का भाव माना जाता हैं। ज्योतिष में तृतीय भाव पराक्रम, छोटे भाई-बहिन, कंठ-गला एवं साहस का होता है। यदि चंद्रमा जातक की के तृतीय भाव मे विद्यमान हो तो जातक की कम्युनिकेशन स्किल बहुत अच्छी होती है। जिससे अपने विचारो को बहुत प्रभावी ढंग से रख पाते हैं। जातक का अपने बड़े भाई या बहनो से अच्छे संबंध होगे। तृतीय भाव मे चंद्रमा पीड़ित होने से जातक 25 वर्ष की आयु मे अपनी संपत्ति खो सकता है। जातक के पिता जी कई बार अपने बिजनेस पार्टनर को बदल सकते हैं। और उन्हे अधिक यात्रा करनी पड़ सकती है। ऐसे जातक सही निर्णय लेने मे थोड़ा विलंब कर सकते हैं। जातक को किसी एक लक्ष्य मे ध्यान केन्द्रित करने मे दिक्कत आ सकती है। ऐसे जातक धार्मिक ,यशस्वी और मधुरभाषी होते हैं।
चंद्रमा का चतुर्थ भाव मे फल:-
चतुर्थ भाव को सुख का भाव माना जाता है। ज्योतिष में कुंडली में चतुर्थ भाव माता, वाहन, प्रॉपर्टी, भूमि, मन, ख़ुशी, शिक्षा तथा भौतिक सुख इत्यादि का कारक भाव होता है । जिन जातको के चतुर्थ भाव मे चंद्रमा विराजमान होता ऐसे जातक उदार हृदय के होते हैं। जातक हमेशा प्रसन्न रहने वाला होता है। ऐसे जातक की नौकरी मे अच्छी पदोन्नति होती है। जातक को मकान ,वाहन ,भूमि आदि का पर्याप्त सुख मिलता है। लेकिन किसी बात को लेकर जातक का अपने माता जी से विरोध होता है। ऐसा जातक कल्पनाशील होता है। जातक के पास अच्छी कल्पनाशक्ति होती है। ग्रहों की अच्छी स्थिति होने पर जातक अपने कुटुंब से बहुत प्रेम करता है,खासकर अपने माता जी से।
चंद्रमा का पंचम भाव मे फल:-
पंचम भाव को त्रिकोण अथवा लक्ष्मी का भाव माना जाता है। ज्योतिष में पंचम भाव उच्च शिक्षा, संतान, प्रेम एवं टेलेंट का होता है। यदि चंद्रमा जातक के जन्मकुंडली के पंचम भाव में विद्यामान हो तो जातक रसिक स्वभाव का होता है। जातक को अपने पुत्र से सुख मिलता है । जातक बहुत स्मार्ट होता है। जातक को मनोरंजन ,कला और खेल खूब दिलचस्पी होती है। जातक अपने जीवन मे अच्छी स्थिति को प्राप्त करता है। जातक का झुकाव आध्यात्मिकता की ओर भी हो सकता है। जातक को अपने जीवनसाथी से लाभ होगा। ऐसा जातक ईमानदारी से धन का संग्रह करना पसंद करते हैं। और इसके लिए प्रयत्नशील रहते हैं। जातक को दूध अथवा अन्य सफ़ेद वस्तुओ का व्यापार करने से अच्छा लाभ हो सकता है। शत्रु अथवा नीच राशि मे स्थित होने से चंद्रमा जातक को रोगी बना सकता है।
चंद्रमा का षष्ठम भाव मे फल:-
षष्ठम भाव को शत्रु ,कर्ज एवम व्याधियों का भाव माना जाता है। ज्योतिष में छ्टा भाव रोग, ऋण, शत्रु व मामा का भी होता है। चंद्रमा यदि जातक के षष्ठम भाव में विद्यमान हो तो जातक नकारात्मक नजरिए का होता है।
वह हर चीज को नकारात्मक दृष्टि कोण से देखता है। फलस्वरूप वह हमेशा उदास और चिंतित रहने वाला होता है। हालाकि वह अपने इस उदासी को छुपाने का प्रयास करता है। षष्ठम भाव मे चंद्रमा नीच राशि मे होने पर जातक नेत्र रोग अथवा कफ की बीमारी से पीड़ित हो सकता है। जातक अनावश्यक खर्च करने वाला भी हो सकता है। वह जातक मे चीजों को लेकर बहुत आसक्ति होती है।
चंद्रमा का सप्तम भाव मे फल:-
सप्तम भाव को विवाह तथा व्यापार का भाव माना जाता हैं। ज्योतिष में सप्तम भाव जीवनसाथी, व्यापार, साझेदार, व विदेश यात्रा का होता है। यदि जातक की जन्मकुंडली में चंद्रमा देव सप्तम भाव मेंं उपस्थित हो तो ऐसा जातक धैर्यवान होता है। वह जातक काम को सोच-समझकर करनेवाला होता है। जातक के जीवन साथी को अपने रूप और गुण पर अहंकार होता है। ऐसे जातक को भ्रमण करना पसंद होता है। ग्रहों की अच्छी स्थिति होने पर जाताक का विनम्र और प्रभावशाली व्यक्तित्व का होता है। ऐसा जातक भावुक होने के कारण किसी विषय पर देर तक सोचने वाला हो सकता है। सप्तम भाव का चंद्रमा यदि उच्च राशि मे स्थित हो तो जातक को सुंदर और सुशील पत्नी मिलती है। लेकिन वैचारिक मतभेद अथवा अति भावुकता के वजह से वह जातक अपने पत्नी से संतुष्ट नहीं हो सकता है। यदि सप्तम भाव मे चंद्रमा स्थित हो तो जातक संयम खो कर विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित हो सकता है।
चंद्रमा का अष्टम भाव मे फल:-
ज्योतिष में अष्टम भाव आयु, मृत्यु, आकस्मिक घटना, पूर्व-जन्म के पाप कर्म, गुप्त-विद्या एवं आध्यात्म का होता है। यदि जातक की जन्मकुंडली मेंं चंद्रमादेवता अष्टम भाव मेंं उपस्थित हो तो ऐसा जातक आमतौर पर झूठ भी बोल बोलने वाला होता है। जातक का स्वभाव अत्यंत कठोर होता है और वह दूसरों के लिए अपने मन मे ईर्ष्या करने हो सकता है। अष्टम भाव मे चंद्रमा यदि उच्च राशि मे स्थित हो तो जातक को अपने पत्नी से धन की प्राप्ति हो सकती है। जातक को अपने व्यापार मे अच्छी सफलता मिल सकती है। लेकिन यदि अष्टम भाव मे चंद्रमा नीच राशि मे उपस्थित हो तो जातक को धन का नुकसान उठाना पड़ सकता है।अथवा जातक को अपने व्यापार मे ही हानि हो सकती है। यदि चंद्रमा अष्टम भाव मे स्थित हो तो जातक को जल से नुकसान हो सकता है। ऐसा जातक प्रमेह रोग से पीड़ित हो सकता है।
चंद्रमा का नवम भाव मे फल:-
ज्योतिष में नवम भाव भाग्य, धर्म, पिता, उच्च-शिक्षा एवं विदेश यात्रा का होता है। नवम भाव को पूरी कुंडली का सबसे महत्वपूर्ण भाव माना जाता है। जन्मकुंडली में यदि चंद्रमा जातक के नवम भाव में विद्यमान हो तो ऐसा जातक बहुत मेहनती होता है। जातक के पास अच्छी संपत्ति होती है। जातक मे साहस भी अच्छा होता है। वह जातक प्रेमी स्वभाव का होता है। नवम भाव मे चंद्रमा यदि उच्च राशि मे हो तो जातक का भाग्य बहुत प्रबल होता है। ऐसे मे जातक सर्व सुख की प्राप्ति होती है। वह जातक धार्मिक कार्यों मे रूचि लेने वाला होता है। लेकिन यदि नवम भाव मे चंद्रमा नीच अथवा शत्रु राशि मे हो तो जातक निर्बल और गरीब हो सकता है। ऐसे मे जातक धर्महीन व्यवहार कर सकता है। जातक का भाग्य उसके खिलाफ हो सकता है फलस्वरूप जातक को जीवन मे कई समस्याओ का सामना करना पड़ सकता है।
चंद्रमा का दशम भाव मे फल:-
दशम भाव को कर्म का भाव माना जाता हैं। ज्योतिष में दशम भाव कर्म, राज्य, नेतृत्व क्षमता, उत्तरदायित्व एवं प्रसिद्धि का होता है।यदि चंद्रमा जातक के जन्मकुंडली के दशम भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक के कई मित्र होते हैं। वह जातक बहुत बुद्धिमान होता है और हमेशा खुश रहा करता है। ये जातक बहुत महत्वाकांक्षी होते हैं। हो सकता है कि जातक अपने समाज के लोगो के बीच खूब प्रसिद्धि प्राप्त करे। चंद्रमा का दशम भाव मे होना दर्शाता है कि जातक अपने पेशेवर कैरियर को बदलता रह सकता है। चंद्रमा जल से संबन्धित ग्रह है इसलिए दशम भाव मे चंद्रमा का होने का मतलब है कि जातक का जल से जुड़ा हुआ कोई व्यवसाय हो सकता है। इसके अतिरिक्त चंद्रमा कपड़े और भोजन को भी संकेत करता है ऐसे मे हो सकता है कि जातक का कपड़े का उद्योग से जुड़ा कोई व्यापार हो।
चंद्रमा का एकादश भाव मे फल:-
एकादश भाव को लाभ का भाव माना जाता हैं। ज्योतिष में एकादश भाव आय, लाभ, बड़े भाई-बहिन, मित्र एवं आभूषण का होता है। जातक की जन्मकुंडली में चंद्रमा एकादश भाव में विद्यामान हो तो जातक राजनीति मे अपना अच्छा प्रभाव दिखा सकता है। किसी मामले मे जातक को सरकार से सहायता मिल सकता है। जातक को खराब समय मे अपने मित्रो से मदद मिल सकती है। जातक को व्यापार अथवा नौकरी मे सफलता मिल सकती है। एकादश भाव मे चंद्रमा उच्च राशि मे स्थित हो तो जातक को शेयर बाजार से लाभ हो सकता है अथवा जातक की लोटेरी भी लग सकती है। जिन जातको के एकादश भाव मे चंद्रमा उपस्थित होता है उनके पुत्र की तुलना मे पुत्रियाँ अधिक होती है। ऐसे जातक थोड़े आलसी हो सकते हैं। चंद्रमा एकादश भाव मे यदि उच्च स्थिति मे हो तो ऐसा जातक महिलाओ के बीच बहुत चर्चित होता है। चंद्रमा नीच राशि मे होने पर जातक को बिजनेस और आय के अर्जन मे कठिनाई आ सकती है।
चंद्रमा का द्वादश भाव मे फल:-
ज्योतिष में द्वादश भाव व्यय, हानि, मोक्ष, विदेश प्रवास एवं गूढ़ विद्या का होता है।
यदि जातक के जन्मकुंडली के द्वादश भाव में चंद्रमा विराजमान हो तो जातक चिंताशील होता है।ऐसा जातक अनावश्यक खर्च करता रहता है। जातक को कोई गुप्त रोग अथवा कफ संबंधी बीमारी हो सकती है। चंद्रमा उच्च राशि मे स्थित हो तो ऐसा जातक मृदुभाषी होता है। जातक को भ्रमण करना प्रिय होता है। वह जातक अपने कार्यों से उच्च कोटी की प्रसिद्धि प्राप्त करता है।
चंद्रमा का कुंडली के बारह भावों में फल (निष्कर्ष)
चंद्रमा जन्मकुंडली के अलग-अलग भावों मे बैठकर अलग-अलग फल प्रदान करता है। जन्मकुंडली के बारह भावों मेंं , विभिन्न भाव के अनुसार फल मिलता है। आपने जाना कि आपको इसका अच्छा (सकारात्मक) फल भी मिल सकता है और नकारात्मक भी मिल सकता है।
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