ज्योतिष में गौ माता की महिमा

गौ माता की महिमा हमारे धर्म में बहुत ही अधिक है आइये जानते गौ माता हमारे लिए कितनी उपयोगी तथा देवतुल्य हैं |

1 – ज्योतिषमें गोधूलिका समय विवाहके लिये सर्वोत्तम माना गया है ।

2 – यदि यात्राके प्रारम्भमें गौ माता सामने पड़ जाय अथवा अपने बछड़ेको दूध पिलाती हुई सामने पड़ जाय तो यात्रा सफल होती है ।

3- जिस घरमें गौ माता होती है, उसमें वास्तुदोष स्वतः ही समाप्त हो जाता है।

4- जन्मपत्रीमें यदि शुक्र अपनी नीचराशि कन्यापर हो, शुक्रकी दशा चल रही हो या शुक्र अशुभ भाव (6, 8, 12) में स्थित हो तो प्रातः कालके भोजनमें से एक रोटी सफेद रंगकी गायको खिलानेसे शुक्रका नीचत्व एवं शुक्रसम्बन्धी कुदोष स्वतः ही समाप्त हो जाता है।

वैदिक ज्योतिष में ग्रहों के मन्त्र:https://askkpastro.com/%e0%a4%b5%e0%a5%88%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%95-%e0%a4%9c%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a5%8b%e0%a4%a4%e0%a4%bf%e0%a4%b7-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%97%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%b9%e0%a5%8b%e0%a4%82/

5 – पितृदोषसे मुक्ति – सूर्य, चन्द्र, मंगल या शुक्रकी युति राहुसे हो तो पितृदोष होता है । यह भी मान्यता है कि सूर्यका सम्बन्ध पितासे एवं मंगलका सम्बन्ध रक्तसे होनेके कारण सूर्य यदि शनि, राहु या केतुके साथ स्थित हो या दृष्टिसम्बन्ध हो तथा मंगलकी युति राहु या केतुसे हो तो पितृदोष होता है। इस दोषसे जीवन संघर्षमय बन जाता है। यदि पितृदोष हो तो गौ माता को प्रतिदिन या अमावास्याको रोटी, गुड़, चारा आदि खिलानेसे पितृदोष समाप्त हो जाता है।

6- किसीकी जन्मपत्रीमें सूर्य नीचराशि तुलापर हो या अशुभ स्थितिमें हो अथवा केतुके द्वारा परेशानियाँ आ रही हों तो गाय में सूर्य केतु नाडीमें होनेके फलस्वरूप गौ माता की पूजा करनी चाहिये, दोष समाप्त होंगे।

7- यदि रास्तेमें जाते समय गोमाता आती हुई दिखायी दें तो उन्हें अपने दाहिनेसे जाने देना चाहिये, यात्रा सफल होगी।

8- यदि बुरे स्वप्न दिखायी दें तो मनुष्य गो माताका नाम ले, बुरे स्वप्न दिखने बन्द हो जायेंगे।

9- गायके घीका एक नाम आयु भी है-‘आयुर्वे घृतम्’। अतः गौ माता के दूध-घीसे व्यक्ति दीर्घायु होता है। हस्तरेखामें आयुरेखा टूटी हुई हो तो गायका घी काममें लें तथा गायकी पूजा करें।

10- देशी गायकी पीठपर जो ककुद् (कूबड़) होता है, वह ‘बृहस्पति’ है। अतः जन्मपत्रिकामें यदि बृहस्पति अपनी नीचराशि मकरमें हों या अशुभ स्थितिमें हों तो देशी गायके इस बृहस्पतिभाग एवं शिवलिंगरूपी ककुद्के दर्शन करने चाहिये। गुड़ तथा चनेकी दाल रखकर गायको रोटी भी दें।

ज्योतिष में शकुन शास्त्र :https://askkpastro.com/%e0%a4%9c%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a5%8b%e0%a4%a4%e0%a4%bf%e0%a4%b7-%e0%a4%b6%e0%a4%be%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%b6%e0%a4%95%e0%a5%81%e0%a4%a8/

11 – गोमाता के नेत्रों में प्रकाशस्वरूप भगवान् सूर्य तथा ज्योत्स्नाके अधिष्ठाता चन्द्रदेवका निवास होता है। जन्मपत्रीमें सूर्य-चन्द्र कमजोर हो तो गोनेत्रके दर्शन करें लाभ होगा।

वास्तु दोषों का निवारण में गौ माता की महिमा 

जिस स्थानपर भवन, घरका निर्माण करना हो, यदि वहाँपर बछड़ेवाली गायको लाकर बाँधा जाय तो वहाँ सम्भावित वास्तुदोषोंका स्वतः निवारण हो जाता है, कार्य निर्विघ्न पूरा होता है और समापनतक आर्थिक बाधाएँ नहीं आतीं।

गौ माता के प्रति भारतीय आस्थाको अभिव्यक्त करनेकी आवश्यकता नहीं है, क्योंकि गाय सहजरूपसे भारतीय जनमानसमें रची-बसी है। गोसेवाको एक कर्तव्यके रूपमें माना गया है। गाय सृष्टिमातृका कही जाती है।

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गौ माता के रूप में पृथ्वीकी करुण पुकार और विष्णुसे अवतारके लिये निवेदनके प्रसंग पुराणोंमें बहुत प्रसिद्ध हैं। ‘समरांगणसूत्रधार’ जैसा प्रसिद्ध बृहवास्तुग्रन्थ गोरूपमें पृथ्वी ब्रह्मादिके समागम-संवादसे ही आरम्भ होता है। वास्तुग्रन्थ ‘मयमतम्’ में कहा गया है कि भवननिर्माणका शुभारम्भ करनेसे पूर्व उस भूमिपर ऐसी गायको लाकर बाँधना चाहिये, जो सवत्सा (बछड़ेवाली) हो।

नवजात बछड़ेको जब गौ माता दुलारकर चाटती है तो उसका फेन भूमिपर गिरकर उसे पवित्र बनाता है और वहाँ होनेवाले समस्त दोषोंका निवारण हो जाता है। यही मान्यता वास्तुप्रदीप, अपराजितपृच्छा आदि ग्रन्थोंमें भी है। महाभारतके अनुशासनपर्वमें कहा गया है कि गाय जहाँ बैठकर निर्भयतापूर्वक साँस लेती है तो उस स्थानके सारे पापोंको खींच लेती है 

निविष्टं गोकुलं यत्र श्वासं मुञ्चति निर्भयम्। विराजयति तं देशं पापं चास्यापकर्षति ॥

यह भी कहा गया है कि जिस घरमें गायकी सेवा होती है, वहाँ पुत्र-पौत्र, धन, विद्या आदि सुख जो भी चाहिये, मिल जाता है। यही मान्यता अत्रिसंहितामें भी आयी है। महर्षि अत्रिने तो यह भी कहा है कि जिस घरमें सवत्सा धेनु नहीं हो, उसका मंगल मांगल्य कैसे होगा ?

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गौ माता का घरमें पालन करना बहुत लाभकारी है। इससे घरोंमें सर्वबाधाओं और विघ्नोंका निवारण हो जाता है। बच्चोंमें भय नहीं रहता।

विष्णुपुराणमें कहा गया है कि जब श्रीकृष्ण पूतनाके दुग्धपानसे डर गये तो नन्द- दम्पतीने गायकी पूँछ घुमाकर उनकी नजर उतारी और भयका निवारण किया। सवत्सा गायके शकुन लेकर यात्रामें जानेसे कार्य सिद्ध होता है ।

पद्मपुराण और कूर्मपुराणमें कहा गया है कि कभी गायको लाँघकर नहीं जाना चाहिये।

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किसी भी साक्षात्कार, उच्च अधिकारीसे भेंट आदिके लिये जाते समय गायके रँभानेकी ध्वनि कानमें पड़ना शुभ है। संतान-लाभके लिये गायकी सेवा अच्छा उपाय कहा गया है। शिवपुराण एवं स्कन्दपुराणमें कहा गया है कि गोसेवा और गोदानसे यमका भय नहीं रहता। गायके पाँवकी धूलिका भी अपना महत्त्व है। यह पापविनाशक है, ऐसा गरुड़पुराण और पद्मपुराणका मत है। ज्योतिष एवं धर्मशास्त्रों में बताया गया है कि गोधूलिवेला विवाहादि मंगलकार्योंके लिये सर्वोत्तम मुहूर्त है। जब गायें जंगलसे चरकर वापस घरको आती हैं, उस समयको गोधूलिवेला कहा जाता है। गायके खुरोंसे उठनेवाली धूलराशि समस्त पाप-तापोंको दूर करनेवाली है।

पंचगव्य एवं पंचामृतकी महिमा तो सर्वविदित है ही। गोदानकी महिमासे कौन अपरिचित है! ग्रहोंके अरिष्ट-निवारणके लिये गोग्रास देने तथा गौके दानकी विधि ज्योतिष ग्रन्थों में विस्तारसे निरूपित है। इस प्रकार गाय सर्वविध कल्याणकारी ही है।

स्वप्न में गौ माता के  दर्शन का फल : शकुन शास्त्र 

स्वप्नमें गौ अथवा साँड़के दर्शनसे कल्याण-लाभ एवं व्याधि – नाश होता है। इसी प्रकार स्वप्नमें गौके थनको चूसना भी श्रेष्ठ माना गया है।

स्वप्नमें गौका घरमें ब्याना, बैल अथवा साँड़की सवारी करना, तालाबके बीचमें घृत मिश्रित खीरका भोजन भी उत्तम माना गया है। इनमेंसे घीसहित खीरका भोजन तो राज्य प्राप्तिका सूचक माना – गया है। इसी प्रकार स्वप्नमें ताजे दुहे हुए फेनसहित दुग्धका पान करनेवालेको अनेक भोगोंकी तथा दहीके देखनेसे प्रसन्नताकी प्राप्ति होती है।

जो बैल अथवा साँड़से युक्त रथपर स्वप्नमें अकेला सवार होता है और उसी अवस्थामें जाग जाता है, उसे शीघ्र धन मिलता है। स्वप्नमें दही मिलनेसे धनकी, घी मिलनेसे तथा दही खानेसे यशकी प्राप्ति निश्चित है। इसी प्रकार यात्रा आरम्भ करते समय दही और दूधका दीखना शुभ शकुन माना गया है। स्वप्नमें दही-भातका भोजन करनेसे कार्यसिद्धि होती है तथा बैलपर चढ़नेसे द्रव्य-लाभ होता है एवं व्याधिसे छुटकारा मिलता है।

इसी प्रकार स्वप्नमें साँड़ अथवा गौका दर्शन करनेसे कुटुम्बकी वृद्धि होती है। स्वप्नमें सभी काली वस्तुओंका दर्शन निन्द्य माना गया है, केवल कृष्णा गौका दर्शन शुभ होता है।